Shardiya Navratri 2023 : नवरात्र के इन दिनों में शीतला माता मंदिर में मेले का आयोजन किया जाता है। इसी दौरान यहाँ दूर-दूर से माता के भक्त दर्शन करने आते है। शीतला माता को भगवान शिव की उपाधि मिली है

Shardiya Navratri 2023 : ग्वालियर से बीस किलोमीटर दूर सातउ में माँ शीतला का मंदिर स्थित है। ऐसा माना जाता है की माँ के दर्शन करने से लोगो की मनोकामना पूरी हो जाती है। संतान प्राप्ति के लिए माँ से प्राथना करते है। मनोकामना पूरी होने पर लोग डलिया का झूला डालते है। और ये मंदिर पर हर सोमवार को महाप्रसादी का आयोजन किया जाता है। पूर्व में यहाँ आकर डकैत माँ की आराधना करते थे और मनोकामना पूरी होने पर मंदिर में घंटा चढ़ाते थे। आज यहाँ पर बहुत बड़ा भव्य मंदिर बना है ।
डकैत समस्या खतम हो चुकी है। और मंदिर में नवरात्र के समय नौ दिन श्रद्धालुओं की जमकर भीड़ रहती है। और यहाँ पर नौ दिन का मेला भी लगता है।

Shardiya Navratri 2023 : सात पहाड़ियों के बीच है ये मंदिर।
सातउ की शीतला मंदिर अंचल के गुर्जर समाज की अगाध श्रद्धा क केंद्र है। और यहाँ पर 1726 में भक्त के साथ कन्या रूप में आयी गयी थी। माँ शीतला सातउ गांव के सात पहाड़ियों के बीच स्थित है और माँ शीतला की कहानी भी बड़ी अदभुद है। लोगो का कहना है की ये मंदिर घना जंगल में स्थित है जहा जाते-जाते खतरनाक जंगली जानवर मिल जाते थे ,लेकिन उन्होंने कभी भक्तो पर हमला नहीं किया।

Shardiya Navratri 2023 : माता के स्थित होने की कहानी
दरअसल 1669 विक्रम संवत की बात है,जब शीतला माता मंदिर के पास सातउ गांव में गजाधर नाम का एक व्यक्ति है जो शीतला माता के पहले भक्त थे ,जो प्रति दिन गांव के देवी मंदिर में गाय के दूध से माता का अभिषेक करने जाते थे। गजाधर की भक्ति देखकर देवी माँ कन्या के रूप में होकर कहा गजाधर से अपने गांव ले जाने को। और गजाधर के पास माँ को ले जाने का कोई साधन नहीं था।
गजाधर ने माता से कहा मैं आपको पैदल कैसे ले जा सकता हु। तो माता ने कहा की तुम अपने गांव जाओ और वहां जाकर मेरा ध्यान रखना मैं वहां प्रकट हो जाऊगी। और गजाधर ऐसा सुनकर गांव वापस चले गए और माता रानी प्रकट हो गयी। तब गजाधर ने माता से रूखने को कहा। तो माता सातउ गांव के जंगल में जाकर स्थित हो गयी। जहां गजाधर ने माता के मंदिर का निर्माण करवाया,तब से ही गजाधर के वंसज इस मंदिर में पूजा-अर्चना करते है।
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Shardiya Navratri 2023 : शीतला माता से जुडी एक कथा
नवरात्रि के दिनों में यहाँ मेले का आयोजन किया जाता है और यहाँ दूर-दूर से माता के भक्त पैदल दर्शन करने के लिए आते है। देवी शक्ति का रूप है जो शीतला माता स्कन्द पुराण में शीतला माता से जुडी एक पौराणिक कथा का वर्णन मिलता है ,जिसमे लिखा गया है की शीतला देवी का जन्म ब्रम्हाजी से हुआ था। शीतला माता को भगवान शिव की अर्धागिनी शक्ति का स्वरुप माना जाता है।
पौराणिक कथा में बताया गया है की देवलोक से देवी शीतला अपने हाथो में दाल के दाने लेकर भगवान शिव के पशीने से बने ज्वरासुर के साथ धरती लोक पर राजा विराट के राज्य में रहने आई थी। लेकिन राजा विराट ने देवी शीतला को लोक या राज्य में रहने से इंकार कर दिया। राजा के इस व्यव्हार से देवी शीतला को बहुत घुस्सा आया। शीतला माता के क्रोध की अग्नि से प्रजा के लोगो की त्वचा पर लाल लाल दाने आने लग गए।
जिससे लोगो की त्वचा गर्मी से जलने लगी। और फिर राजा ने शीतला से माफ़ी मांगी और फिर उन्हें कच्चा दूध और लस्सी का भोग लगाया। तब माँ शीतला का क्रोध कम हुआ। तब से माँ शीतला को ठन्डे पकवानो का भोग लगाने की परम्परा रही है ।
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